Economic Crisis 1991: यह देश के इतिहास का वो वर्ष था जिसने भारत के अर्थव्यवस्था की लुढ़कती तस्वीर बदलकर रख दिया. डॉ मनमोहन सिंह ने खुद को एक सफल वित्त मंत्री के रूप में शाबित किया. लेकिन नरसिम्हा राव ने उन्हें ऐसा क्यों कहा. आइए जानते हैं.
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Budget 1991-92: यह उस समय की बात है जब आम चुनावों के बाद नई सरकार चुनकर आई थी, जिसमें नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए और डॉ मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया गया.
1991 ही वो समय था जब देश के पास कुछ दिनों का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था. इसके कारणों में 1990 का खाड़ी युद्ध और कुवैत पर इराक का हमला शामिल था.
बजट पेश करने के ठीक पहले मनमोहन सिंह ने पहला ड्राफ्ट तत्कालीन प्रधानमंत्री को दिखाया, जिसे देखकर नरसिम्हा राव ने गुस्से, उदासी और अफसोस के साथ मनमोहन सिंह से कहा- क्या मैनें तुम्हें इस लिए ही चुना था?
पूर्ण बजट 1991
इसके कुछ दिनों बाद मनमोहन सिंह ऐसा बजट लेकर आयें कि आज पूरी दुनिया उनका लोहा मानती है. यह 1991 का पूर्ण बजट था.
इतिहास की सबसे लंबी बजट स्पीच
तारिख थी - 24 जुलाई 1991, जिस मनमोहन सिंह को लोग कम बोलने के लिए ट्रोल करते हैं, बतौर वित्त मंत्री उन्होंने बजट के इतिहास का सबसे लंबा भाषण दिया, जो 18,650 शब्द और 1 घंटे 35 मीनट लंबा था.
बजट में क्या बातें कही गई
इस बजट में LPG यानि उदारीकरण (Liberalization), निजीकरण (Privatization) और वैश्विकरण (Globalization) जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए गए. इसके साथ सीमा शुल्क को 220 फीसद से घटाकर 150 और आयात शुल्क को 300 से घटाकर 50 फीसद करने की बात कही गई.
इसके बाद मनमोहन सिंह का नाम भारत के उन वित्त मंत्रियों में शामिल हो गया, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था डूबने से बचा लिया.
विक्टर ह्यूगो का कोट
उन्होंने इस स्पीच की समाप्ति इस कोट से की, कि 'जब किसी आइडिया का सही समय आ गया हो, तो फिर उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती'.
वी शैल प्रिवेल, वी शैल ओवरकम
बजट स्पीच की आखिरी लाइन थी - 'वी शैल प्रिवेल. वी शैल ओवरकम'. इसके माध्यम से मनमोहन ने पुरी दुनिया को ये संदेश दे दिया कि भारत अब जाग चुका है और विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने को तैयार है.